श्री शनि चालीसा: जब श्रद्धा से खुलता है भाग्य का बंद दरवाज़ा

Share Please:

शनि देव — जिनका नाम सुनते ही कई लोगों के मन में डर, साढ़ेसाती और कर्मों का हिसाब-किताब घूमने लगता है। लेकिन सच तो यह है कि शनि देव न्याय के देवता हैं, जो हर व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। वो रुष्ट नहीं होते, बस सच और गलत के बीच फर्क दिखाते हैं।

जब जीवन में बार-बार रुकावटें आने लगें, कार्य अटकने लगें, या मन अस्थिर हो जाए — तब श्री शनि चालीसा एक ऐसा दिव्य उपाय बन सकती है, जो न केवल मानसिक शांति देती है, बल्कि शनिदेव की कृपा भी दिला सकती है। यह चालीसा सिर्फ एक पाठ नहीं, बल्कि एक आंतरिक शक्ति है — जो कर्मों को दिशा देती है और जीवन को संबल।

श्री शनि चालीसा

श्री शनि चालीसा क्या है?

शनि चालीसा 40 दोहों वाला एक भक्ति स्तोत्र है, जिसमें शनिदेव की महिमा, उनका स्वरूप, और भक्तों पर उनकी कृपा का वर्णन किया गया है। यह चालीसा न केवल श्रद्धा से जुड़ने का माध्यम है, बल्कि आत्मबल बढ़ाने का भी एक सरल और प्रभावशाली तरीका है।

हर शनिवार को इसे पढ़ना एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। इसका प्रभाव धीरे-धीरे जीवन में साफ़ दिखने लगता है — मन शांत होता है, आत्मविश्वास बढ़ता है और मुश्किलें हल होने लगती हैं।


श्री शनि चालीसा – हिंदी में

(Shani Chalisa)
॥शनि चालीसा॥

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
दीनन के दुःख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥

जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुिनहु विनय महाराज ।
करहु कृपा हे रबि तनय, राखहु जन की लाज ॥

॥ चौपाई ॥

जयति जयति शनिदेव दयाला ।
करत सदा भक्तन प्रतिपाला ॥१॥

चारि भुजा, तनु श्याम बिराजै ।
माथे रतन मुकुट छबि छाजै ॥२॥

परम विशाल मनोहर भाला ।
टेढी दृष्टि भृकुटि विकराला ॥३॥

कुण्डल श्रवण चमाचम चमके ।
हिय माल मुक्तन मणि दमके ॥४॥

कर में गदा त्रिशूल कुठारा ।
पल विच करैं अरिहिं संहारा ॥५॥

पिंगल, कृष्णिं, छाया नन्दन ।
यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन ॥६॥

सौरी, मन्द, शनी, दश नामा ।
भानु पुत्र पूजहिं सब कामा ॥७॥

जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं ।
रिंकहुुँ राव करैं क्षण माहीं ॥ ८॥

पर्वतहू तृण होई निहारत ।
तृणहू को पर्वत करि डारत ॥९॥

राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो ।
कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो ॥१०॥

बनहूँ में मृग कपट दिखाई ।
मातु जानकी गई चुराई ॥११॥

लखनहिं शक्ति विकल करिडारा ।
मचिगा दल में हाहाकारा ॥ १२ ॥

रावण की गतिमति बौराई ।
रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई ॥१३॥

दियो कीट करि कंचन लंका ।
बजि बजरंग बीर की डंका ॥१४॥

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा ।
चित्र मयूर निगलि गै हारा ॥१५॥

हार नौलखा लाग्यो चोरी।
हाथ पैर डरवाय तोरी ॥ १६ ॥

भारी दशा निकृष्ट दिखायो ।
तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो ॥१७॥

विनय राग दीपक महं कीन्हयों ।
तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों ॥१८॥

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी ।
आपहुं भरे डोम घर पानी ॥१९॥

तैसे नल पर दशा सिरानी ।
भूंजीमीन कूद गई पानी ॥ २० ॥

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई ।
पारवती को सती कराई ॥२१॥

तनिक विलोकत ही करि रीसा ।
नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा ॥२२॥

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी ।
बची द्रौपदी होति उघारी ॥२३॥

कौरव के भी गति मति मारयो ।
युद्ध महाभारत करि डारयो ॥ २४ ॥

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला ।
लेकर कूदि परयो पाताला ॥२५॥

शेष देवलखि विनती लाई ।
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई ॥२६॥

वाहन प्रभु के सात सजाना ।
जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना ॥२७॥

जम्बुक सिंह आदि नख धारी ।
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी ॥ २८ ॥

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।
हय ते सुख सम्पति उपजावैं ॥२९॥

गर्दभ हानि करै बहु काजा ।
सिंह सिद्धकर राज समाजा ॥३०॥

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारे ।
मृग दे कष्ट प्राण संहारै ॥३१॥

जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी ।
चोरी आदि होय डर भारी ॥ ३२ ॥

तैसहि चारि चरण यह नामा ।
स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा ॥३३॥

लौह चरण पर जब प्रभु आवें ।
धन जन सम्पत्ति नष्ट करावें ॥३४॥

समता ताम्र रजत शुभकारी ।
स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी ॥३५॥

जो यह शनि चरित्र नित गावै ।
कबहुं न दशा निकृष्ट सतावे ॥ ३६॥

अद्भुत नाथ दिखावें लीला ।
करें शत्रु के नशि बलि ढीला ॥३७॥

जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई ।
विधिवत शनि ग्रह शांति कराई ॥३८॥

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत ।
दीप दान दे बहु सुख पावत ॥३९॥

कहत राम सुन्दर प्रभु दासा ।
शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा ॥ ४० ॥

॥ दोहा ॥
पाठ शनिश्चर देव को, की हों भक्त तैयार ।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार ॥


कैसे करें श्री शनि चालीसा का पाठ?

यह कोई कठिन प्रक्रिया नहीं है। आप इसे बिल्कुल सरलता से घर में ही कर सकते हैं। बस कुछ बातों का ध्यान रखें:

पाठ की विधि:

  • शनिवार को सूर्योदय से पहले उठें
  • स्नान कर साफ नीले या काले वस्त्र पहनें
  • शनिदेव की तस्वीर के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं
  • कुछ काले तिल, काली उड़द और नीले फूल अर्पित करें
  • फिर बैठकर शांत मन से शनि चालीसा का पाठ करें

ज़रूरी नहीं कि आप हर शब्द समझें, लेकिन भाव शुद्ध होना चाहिए। शनिदेव को सच्ची श्रद्धा बहुत प्रिय है।


एक भक्त का अनुभव: जब शनि चालीसा ने मेरी ज़िंदगी बदली…

“कुछ साल पहले मेरी ज़िंदगी बिखर गई थी। नौकरी चली गई थी, घर में कलह, और मन में अजीब सा डर घर कर गया था। सब कुछ हाथ से फिसलता लग रहा था।
तभी एक दिन एक पुराने दोस्त ने कहा, ‘राहुल, हर शनिवार शनि चालीसा पढ़। तुझसे कुछ नहीं बिगड़ेगा, पर बहुत कुछ सुधर सकता है।’

मैंने बिना ज़्यादा सोचे शुरू किया। पहले शनिवार जब चालीसा पढ़ी, मन भारी था लेकिन पाठ के बाद थोड़ी शांति महसूस हुई।
फिर धीरे-धीरे हर हफ्ते पाठ करता गया। एक महीने बाद ही मुझे एक नई नौकरी का ऑफर मिला। घर का माहौल भी थोड़ा बेहतर हुआ।

लेकिन सबसे बड़ा परिवर्तन यह था — अब डर नहीं लगता था। मन में एक विश्वास था कि शनिदेव साथ हैं।
आज भी मैं हर शनिवार शनि चालीसा पढ़ता हूँ। यह मेरे लिए सिर्फ भक्ति नहीं, मेरे जीवन का सहारा बन चुकी है।”
राहुल (एक सामान्य नौकरीपेशा भक्त)


शनि चालीसा पढ़ने के लाभ

  • जीवन की रुकावटें दूर होती हैं
  • साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव कम होते हैं
  • नौकरी, करियर और व्यापार में उन्नति आती है
  • मन में सकारात्मक ऊर्जा और आत्मबल बढ़ता है
  • शनिदेव की कृपा बनी रहती है

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

शनि चालीसा कब पढ़ना चाहिए?

शनि चालीसा हर शनिवार को सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद पढ़ना शुभ माना जाता है। विशेष रूप से साढ़ेसाती, ढैया या किसी कष्ट के समय इसका पाठ करना अत्यंत फलदायी होता है।

शनि चालीसा पढ़ने से क्या लाभ होता है?

इस चालीसा का नियमित पाठ करने से मन को शांति मिलती है, जीवन की बाधाएं दूर होती हैं, और शनिदेव की कृपा से सुख-समृद्धि आती है। यह कर्म सुधारने की प्रेरणा भी देती है।

क्या शनि चालीसा बिना गुरू या विधि के पढ़ सकते हैं?

हाँ, इसे किसी विशेष दीक्षा के बिना भी श्रद्धा और विश्वास से पढ़ा जा सकता है। सरल मन और सच्ची भावना ही सबसे बड़ी विधि है।


निष्कर्ष

श्री शनि चालीसा केवल एक धार्मिक स्तोत्र नहीं, बल्कि यह विश्वास, अनुशासन और आत्मबल का प्रतीक है। जो भी इसे श्रद्धा और नियमितता से पढ़ता है, वह न केवल शनिदेव की कृपा प्राप्त करता है, बल्कि अपने जीवन की कठिनाइयों का सामना करने का साहस भी पाता है। चाहे साढ़ेसाती हो या मानसिक चिंता—यह पाठ भक्तों को भीतर से मजबूत बनाता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

एक भक्त की जुबानी अनुभव से यह स्पष्ट होता है कि जब हम ईमानदारी से प्रार्थना करते हैं, तो परमात्मा की कृपा जरूर प्राप्त होती है। शनि चालीसा का नियमित पाठ न केवल हमें कर्मों के प्रति सजग बनाता है, बल्कि शनिदेव के न्याय के प्रति आस्था भी मजबूत करता है।

तो आइए, हर शनिवार को इस चालीसा के माध्यम से अपने जीवन में शांति, शक्ति और समृद्धि का स्वागत करें।

आध्यात्मिक उन्नति के लिए ये अन्य पोस्ट भी पढ़ना न भूलें

Share Please:
अस्वीकरण

यह लेख धार्मिक और आध्यात्मिक जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई पूजा विधि, मंत्र और अन्य जानकारियाँ प्राचीन शास्त्रों, लोक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित हैं। पाठकों से अनुरोध है कि वे अपनी व्यक्तिगत श्रद्धा और सुविधा के अनुसार पूजा विधि अपनाएं। किसी भी प्रकार की धार्मिक क्रिया को करने से पहले योग्य पंडित या विद्वान से परामर्श लेना उचित होगा। इस लेख में दी गई जानकारी का उपयोग पाठक की स्वयं की जिम्मेदारी पर होगा।

हर नई पोस्ट की सूचना पाने के लिए Telegram Group से जुड़ें! Join Now

मैं गोपाल चन्द्र दास — सनातन धर्म में गहरी आस्था रखने वाला एक गर्वित सनातनी, साधक और समर्पित लेखक हूँ। मुझे अपनी संस्कृति, परंपरा और धार्मिक विरासत पर गर्व है। मेरा उद्देश्य है हिंदू धर्म की शुद्ध, प्रामाणिक और ग्रंथों पर आधारित जानकारी को सरल, सहज और समझने योग्य भाषा में हर श्रद्धालु तक पहुँचाना।मैं अपने लेखों के माध्यम से व्रत-त्योहारों की सही विधियाँ, पूजा-पद्धतियाँ, धर्मशास्त्रों के सार, और आध्यात्मिक जीवन जीने के मार्ग को प्रस्तुत करता हूँ — ताकि सनातन धर्म के अनुयायी बिना किसी भ्रम या संशय के सच्ची श्रद्धा और विधि-विधान से धर्म का पालन कर सकें।

Leave a Comment