श्री गणेश चालीसा लिखित में – संपूर्ण पाठ और महत्व

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भगवान श्री गणेश को प्रथम पूज्य और विघ्नहर्ता माना जाता है। जब भी कोई नया काम शुरू किया जाता है तो सबसे पहले गणपति बप्पा का नाम लिया जाता है। मान्यता है कि श्री गणेश के स्मरण से ही कार्य सफल होते हैं और घर में सुख-शांति आती है। इसी कारण भक्तगण नियमित रूप से गणेश चालीसा का पाठ करते हैं। बहुत से लोग पूछते हैं कि गणेश चालीसा लिखित में कहाँ मिले, ताकि वे इसे हर रोज़ पढ़ सकें। इस लेख में हम आपके लिए संपूर्ण गणेश चालीसा का पाठ, उसका महत्व और इसके पाठ से मिलने वाले लाभ प्रस्तुत कर रहे हैं।

गणेश चालीसा लिखित में

श्री गणेश चालीसा लिखित में

॥ दोहा ॥
जय गणपति सदगुण सदन, करि वर बदन कृपाल ।
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल ॥

॥ चौपाई ॥
जय जय जय गणपति गणराजू, मंगल भरण करण शुभ काजू ।
जय गजबदन सदन सुखदाता, विश्वविनायक बुद्धि विधाता ॥
वक्रतुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन, तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ।
राजत मणि मुक्तन उर माला, स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं, मोदक भोग सुगन्धित फूलं ।
सुन्दर पीताम्बर तन साजित, चरण पादुका मुनि मन राजित ॥
धनि शिव सुवन षडानन भ्राता, गौरी ललन विश्व विख्याता ।
ऋद्धि सिद्धि तव चंवर सुधारे, मूषक वाहन सोहत द्वारे ॥

कहौं जन्म शुभ कथा तुम्हारी, अति शुचि पावन मंगलकारी ।
एक समय गिरिराज कुमारी, पुत्र हेतु तप कीन्हों भारी ॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा, तब पहुँच्यो तुम धरि द्विज रूपा ।
अतिथि जानि के गौरी सुखारी, बहु विधि सेवा करी तुम्हारी ॥

अति प्रसन्न है तुम वर दीन्हा, मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ।
मिलहिं पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला, बिना गर्भ धारण यहि काला ॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना, पूजित प्रथम रूप भगवाना ।
अस केहि अन्तर्धान रूप है, पलना पर बालक स्वरूप है ॥

बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना, लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ।
सकल मगन सुख मंगल गावहिं, नभ ते सुरन सुमन वर्षावहिं ॥
शम्भु उमा बहु दान लुटावहिं, सुर मुनिजन सुत देखन आवहिं ।
लखि अति आनन्द मंगल साजा, देखन भी आए शनि राजा ॥

निज अवगुण गनि शनि मन माहीं, बालक देखन चाहत नाहीं ।
गिरिजा कछु मन भेद बढ़ायो, उत्सव मोर न शनि तुहि भायो ॥
कहन लगे शनि मन सकुचाई, का करिहों शिशु मोहि दिखाई ।
नहिं विश्वास उमा उर भयऊ, शनि सों बालक देखन काऊ ॥

पड़तहिं शनि दृगकोण प्रकाशा, बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ।
गिरिजा गिरी विकल है धरणी, सो दुख दशा गयो नहिं वरणी ॥
हाहाकार मच्यो कैलाशा, शनि कीन्हों लखि सुत का नाशा ।
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधाये, काटि चक्र सो गजशिर लाये ॥

बालक के धड़ ऊपर धारयो, प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो।
नाम ‘गणेश’ शम्भु तब कीन्हें, प्रथम पूज्य बुद्धि निधि वर दीन्हें ॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा, पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ।
चले षडानन, भरमि भुलाई, रचे बैठि तुम बुद्धि उपाई ॥

चरण मातु पितु के धर लीन्हें, तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें।
धनि गणेश कहि शिव हिय हर्ष्या, नभ ते सुरन सुमन बहु वर्ण्यो ॥
तुम्हारी महिमा बुद्धि बड़ाई, शेष सहस मुख सके न गाई ।
मैं मति हीन मलीन दुखारी, करहुँ कौन विधि विनय तुम्हारी ॥

भजत ‘राम सुन्दर’ प्रभुदासा, जग प्रयाग ककरा दुर्वासा ।
अब प्रभु दया दीन पर कीजे, अपनी भक्ति शक्ति कुछ दीजे ॥

॥ दोहा ॥
श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै धर ध्यान ।
नित नव मंगल गृह बसै, लहै जगत सनमान ॥
सम्बन्ध अपना सहस्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश ।
पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ति गणेश ॥


गणेश चालीसा का महत्व

गणेश चालीसा केवल एक स्तुति मात्र नहीं है, बल्कि यह भक्त और भगवान के बीच गहरे संबंध का माध्यम है। इसे पढ़ने से मन शांत होता है और बुद्धि तेज होती है। विद्यार्थी परीक्षा में सफलता पाने के लिए, व्यापारी अपने व्यापार की उन्नति के लिए और गृहस्थ पारिवारिक सुख-शांति के लिए इसका पाठ करते हैं। चालीसा पढ़ने का सबसे बड़ा महत्व यह है कि यह हमारे जीवन में आने वाली हर बाधा को दूर करती है और कार्यों में मंगल का मार्ग प्रशस्त करती है।


गणेश चालीसा का पाठ कैसे करें

गणेश चालीसा का पाठ करना अत्यंत सरल है। सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनकर गणेश जी के सामने दीपक जलाएँ और लाल फूल तथा मोदक अर्पित करें। मन को शांत कर श्रद्धा और भक्ति के साथ पूरी चालीसा पढ़ें। पाठ के बाद “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करना बहुत फलदायी माना जाता है।


गणेश चालीसा पाठ करने के लाभ

गणेश चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है। मानसिक तनाव कम होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है। यह भी माना जाता है कि इसके प्रभाव से संतान सुख की प्राप्ति होती है और धन संबंधी परेशानियाँ दूर होती हैं। कुल मिलाकर, चालीसा का पाठ भक्त को आध्यात्मिक शक्ति और मानसिक संतुलन प्रदान करता है।


निष्कर्ष

गणेश चालीसा लिखित रूप में पढ़ने से भक्त भगवान गणेश की कृपा शीघ्र प्राप्त करता है। यह न केवल भक्ति का एक मार्ग है बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाने का साधन भी है। यदि इसे श्रद्धा और नियम से किया जाए तो इसका फल निश्चित ही अद्भुत होता है।


गणेश चालीसा सम्बन्धित पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न : गणेश चालीसा कब पढ़नी चाहिए?

गणेश चालीसा का पाठ सुबह स्नान के बाद, स्वच्छ मन और पवित्र वातावरण में करना सबसे उत्तम माना जाता है। हालांकि इसे संध्या समय भी पढ़ा जा सकता है।

प्रश्न : क्या रोज़ गणेश चालीसा पढ़ सकते हैं?

हाँ, गणेश चालीसा का रोज़ाना पाठ करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। इसे नित्य पढ़ना अत्यंत शुभ माना जाता है।

प्रश्न : गणेश चालीसा पढ़ने के क्या लाभ हैं?

इससे जीवन में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं, कार्यों में सफलता मिलती है, मानसिक शांति प्राप्त होती है और भक्त को भगवान गणेश की विशेष कृपा मिलती है।

प्रश्न : गणेश चालीसा का पाठ किसे करना चाहिए?

विद्यार्थियों, गृहस्थों, व्यापारियों और हर उस व्यक्ति को इसका पाठ करना चाहिए जो जीवन में सफलता, बुद्धि और सुख-समृद्धि चाहता हो।

प्रश्न : क्या गणेश चालीसा केवल मंगलवार या बुधवार को ही पढ़नी चाहिए?

हालाँकि मंगलवार और बुधवार को गणेश जी की पूजा विशेष फलदायी होती है, लेकिन गणेश चालीसा का पाठ सप्ताह के किसी भी दिन किया जा सकता है।

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अस्वीकरण

यह लेख धार्मिक और आध्यात्मिक जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई पूजा विधि, मंत्र और अन्य जानकारियाँ प्राचीन शास्त्रों, लोक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित हैं। पाठकों से अनुरोध है कि वे अपनी व्यक्तिगत श्रद्धा और सुविधा के अनुसार पूजा विधि अपनाएं। किसी भी प्रकार की धार्मिक क्रिया को करने से पहले योग्य पंडित या विद्वान से परामर्श लेना उचित होगा। इस लेख में दी गई जानकारी का उपयोग पाठक की स्वयं की जिम्मेदारी पर होगा।

मैं गोपाल चन्द्र दास — सनातन धर्म में गहरी आस्था रखने वाला एक गर्वित सनातनी, साधक और समर्पित लेखक हूँ। मुझे अपनी संस्कृति, परंपरा और धार्मिक विरासत पर गर्व है। मेरा उद्देश्य है हिंदू धर्म की शुद्ध, प्रामाणिक और ग्रंथों पर आधारित जानकारी को सरल, सहज और समझने योग्य भाषा में हर श्रद्धालु तक पहुँचाना।मैं अपने लेखों के माध्यम से व्रत-त्योहारों की सही विधियाँ, पूजा-पद्धतियाँ, धर्मशास्त्रों के सार, और आध्यात्मिक जीवन जीने के मार्ग को प्रस्तुत करता हूँ — ताकि सनातन धर्म के अनुयायी बिना किसी भ्रम या संशय के सच्ची श्रद्धा और विधि-विधान से धर्म का पालन कर सकें।

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